Monday, April 15, 2013

एक कहानी में पढ़ें...

लेटर-बॉक्स--अज्ञेय 
दोनों बूढ़े थे और बाल-बच्चा उनका कोई नहीं था - दो बेटे जंग में मारे गये थे जापान की तरफ़। लाहौर में आ मिलने को कह गये थे। लाहौर की तरफ़ जाते-जाते और भी कई लोग उनके साथ हो गये थे, लेकिन रास्ते में कुछ लोगों ने बन्दूकों से बहुत-सी गोलियाँ चलायीं और कुछ साथ के मारे गये - चाचा भी मर गये। पर साथियों ने रुकने नहीं दिया। बहुत जल्दी-जल्दी बढ़ते गये। लाहौर में बाबूजी के मिलने की बात थी, पर लाहौर वे लोग गये ही नहीं। रास्ते में और बहुत से लोग मिले थे, उन्होंने कहा कि लाहौर जाना ठीक नहीं इसलिए रास्ते में से मुड़ गये।
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Tuesday, April 9, 2013

चावेज द्वारा 20 सितंबर 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिये गये तीखे अमेरिका विरोधी भाषण के अंश

कल शैतान आया था 
चावेज द्वारा 20 सितंबर 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिये गये तीखे अमेरिका विरोधी भाषण के अंश
 सबसे पहले मैं सम्मान के साथ आप सब को आमंत्रित करना चाहता हूं, जिन्हें उस पुस्तक को पढ़ने का अवसर नहीं मिला, जिसे हमने पढ़ा है। नोम चॉम्स्की, जो विश्व और अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों में से हैं, उनकी सबसे नयी रचना "हेजेमनी ऑर सरवाइवल?' मुझे लगता है कि अमेरिका में हमारे भाइयों और बहनों को यह किताब सबसे पहले पढ़नी चाहिए क्योंकि खतरा उनके अपने घरों में ही है। शैतान उनके घर में ही है। खुद शैतान उनके घर में है।वह शैतान कल यहां था। कल शैतान यहां, इसी जगह पर मौजूद था। यह मेज, जहां से मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, अभी भी गंधक की तरह महक रही है। कल इसी हॉल में अमेरिका के राष्ट्रपति, जिन्हें में "शैतान'कहता हूं, आये थे और इस तरह बात कर रहे थे मानो दुनिया उनकी जागीर हो। अमेरिकी राष्ट्रपति के कल के भाषण का विश्लेषण करने के लिए किसी मनोवैज्ञानिक की जरूरत होगी।साम्राज्यवाद के एक प्रवक्ता की तरह वे हमें अपने वर्तमान आधिपत्य, शोषण और विश्व के लोगों को लूटने की अपनी युक्ति बताने आये थे। इस पर अल्फ्रेड हिचकॉक की एक अच्छी फिल्म बन सकती है। मैं उसका शीर्षक भी सुझा सकता हूं - "द डेविल्स रेसिपी'। मतलब यह कि अमेरिकी साम्राज्यवाद- जैसा कि चॉम्स्की भी गंभीरता और स्पष्ट रूप से कहते हैं- अपने आधिपत्य की वर्चस्ववादी व्यवस्था को स्थापित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। हम इसे होने नहीं दे सकते। हम उसकी वैश्विक तानाशाही को स्थापित होने नहीं दे सकते, उसे मजबूत होने नहीं दे सकते। विश्व के उस अत्याचारी राष्ट्रपति का वक्तव्य दंभ और पाखंड से भरा है। यह साम्राज्यवादी पाखंड है, जिसके जरिये वे सभी कुछ नियंत्रित करना चाहते हैं। वे हम पर लोकतांत्रिक मॉडल थोपना चाहते हैं, जिसे उन्होंने खुद बनाया है। कुलीनों का मिथ्या लोकतंत्र। और इससे भी ज्यादा, एक ऐसा लोकतांत्रिक मॉडल, जो विस्फोट, बमबारी, आक्रमण और बंदूक की गोलियों के बल पर थोपा गया है। ऐसा है वह लोकतंत्र! हमें अरस्तू की स्थापनाओं और लोकतंत्र के बारे में बताने वाले आरंभिक यूनानियों की फिर से समीक्षा करनी पड़ेगी और देखना होगा कि आखिर नौसैनिक आक्रमण, हमले, उग्रवाद और बमों से लोकतंत्र का कौन सा मॉडल थोपा जा रहा है।अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसी हॉल में कल कुछ बातें कही थीं। मैं उनका वक्तव्य दुहराता हूं, "आप जहां कहीं भी नजर दौड़ायें, आपको उग्रवादियों की बात सुनने को मिलेंगी जो कहते हैं कि आप हिंसा, आतंक और शहादत से अपनी तकलीफों से छुटकारा पा सकते हैं और अपना आत्मसम्मान हासिल कर सकते हैं।' वे जिधर भी नजर दौड़ाते हैं, उन्हें उग्रवादी ही दिखते हैं। मुझे पता है भाइयो, वे आपको देखते हैं, आपकी चमड़ी के रंग से देखते हैं और सोचते हैं कि आप एक उग्रवादी हैं। रंग के आधार पर ही बोलीविया के सम्मानित राष्ट्रपति एवो मोरालेस, जो कल यहां मौजूद थे, एक उग्रवादी हैं। साम्राज्यवादियों को हर तरफ उग्रवादी ही नजर आते हैं। ऐसा नहीं है कि हम उग्रवादी हैं। हो यह रहा है कि दुनिया अब जाग गयी है। चारों तरफ लोग उठ खड़े हो रहे हैं। मिस्टर साम्राज्यवादी तानाशाह, मुझे लगता है कि आप अपने शेष दिन दुःस्वप्न में ही गुजारेंगे क्योंकि इसमें संदेह नहीं कि आप जहां कहीं भी नजर दौड़ायेंगे, हम अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ खड़े नजर आयेंगे।हां, वे हमें उग्रवादी कहते हैं, क्योंकि हमने विश्व में संपूर्ण स्वतंत्रता की मांग की है, लोगों के बीच समानता और राष्ट्रीय संप्रभुता की गरिमा की मांग की है। हम साम्राज्य के खिलाफ उठ खड़े हो रहे हैं, आधिपत्य के मॉडल के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। 
सौज. पब्लिक एजेंडा