बराबरी की नई भाषा--कृष्णा सोबती
हमारे लोकतांत्रिक संविधान ने स्त्री और पुरुष दोनों नागरिकों को एक-से अधिकार देकर उन्हें बराबरी की हैसियत सौंपी है। नया दिशा-निर्देश दिया है। पुरानी परिपाटी पर रूढ़ हो चुके भारतीय परिवार में नए परिवर्तन होने को हैं- हो रहे हैं। आज की लोकतांत्रिक-राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्थाएं स्त्री की नई महत्त्वाकांक्षाओं को बाहर कैसे रख सकेंगी। पूरा पढ़ें... www.vikalpvimarsh.in |
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