Tuesday, March 28, 2017

आइनाघर-5 -- सतह से उठता हुआ गांधी : प्रियंवद


http://sangamankar.com/
आइनाघर-5
हमने अपनी वेबसाइट में वरिष्ठ साहित्यकार व अकार के संपादक प्रियंवद का कॉलम “आइनाघर ” शुरु किया है जो पाक्षिक हैपहले व तीसरे हफ्ते में वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाता है।इस बार...

आइनाघर-5
सतह से उठता हुआ गांधी
संदर्भ : 'पहला गिरमिटिया' उपन्यास का गांधी : प्रियंवद
 .......गिरिराज किशोर का उपन्यास ‘पहला गिरमिटिया’, हमें इस बात का एक मौका देता है कि इस खत्म होती हुयी सदी में, लगभग निर्विवाद और सर्वमान्य, शताब्दी या सहस्त्राब्दी पुरुष की प्रासंगिकता और भूमिका के बारे में हम एक बार फिर सोचें। यह उपन्यास हमें गांधाी के पुनर्मूल्यांकन का भी एक अवसर देता है। लोहिया के शब्दों में अगर कहें तो गांधी के बारे में ‘पैगम्बर या ढोंगी’और ‘देश का वरदान या अभिशाप’जैसे विवाद को भी यह उपन्यास पुनर्जीवित करता है। यह पूनर्मूल्यांकन इसलिए जरूरी है क्योंकि अतीत में गांधाी की भूमिका और वर्तमान में प्रासंगिकता, आज भी पूरी तरह बहस में है। दो सदियों के इस संधि बिन्दु पर, गांधी को चुके हुए या अधिक क्रूर शब्दों में कहें तो उसको एक सड़े गले सन्दर्भ की तरह छोड़ देना है या अपनी अंतिम शरण की तरह पकड़ लेना है..... यह बहस अभी शेष है। 'पहला गिरमिटिया' का सर्वप्रथम महत्व और संदर्भ यही है कि वह इस बहस को जीवित रखता है। ..... (प्रियंवद)
 
जीवेश प्रभाकर
संपादक, संगमनकार

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