Wednesday, July 19, 2017

बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा...


      कुछ इसी तर्ज़ पर चलाया जा रहा है मोदी व भाजपा के एजेण्डे का प्रचार प्रसार.. ...एक बात तो माननी होगी कि मोदी केप्रचार तंत्र में संलग्न प्रोफेशनल्स अपनी पूरी प्रतिभा पूरे देश को मोदीमय करने में लगा रहे हैं और काफी हद तक कामयाब हो रहे हैं......मीडिया तो अपने व्यवसायिक लाभ के चलते इस प्रचार तंत्र का भागीदार है ही मगर देश का बौद्धिक वर्ग भी इस मकड़जाल की गिरफ्त में फंसता जा रहा है.... एक एक शब्द ..एक एक कदम बहुत सोचा समझा और सुनियोजित सा है...पूरी पटकथा जबरदस्त पूर्वानुमान के साथ लिखी जाती है जिससे पूरे देश में मोदी के पक्ष या विपक्ष दोनो में चर्चा का माहौल पैदा हो....

हम आप भी इस जाल से बच नहीं सकते क्योंकि बयानो और हरकतों से आपको इस हद तक विचलित कर दिया जाता है कि आप प्रतिक्रिया से दूर नहीं भाग सकते....इस तरह हम चाहे अनचाहे इस प्रचार का हिस्सा होते चले जा रहे हैं.....
मुझे ऐसा लगता है कि यदि हम इस अभियान को नजरअंदाज करना शुरु कर दें तो निश्चित रूप से मोदी के प्रचार खेमे में बेचैनी फैलेगी क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य गंभीर बहस की बजाय सनसनी फैलाना ही है....अतः अबसे आगे मोदी की चर्चा पर कुछ विराम लगाकर देखा जाए....विपक्षी दलों में कॉंग्रेस से ऐसी उम्मीद बेमानी है ...क्योंकि कॉंग्रेस तो हाल के दौर में बौद्धिक दिवालिएपन के संक्रमण से गुजर रही है....नितीश कुमार की कलई उतर चुकी है....लालू खुद प्रश्नों के घेरे में हैं....आप की विश्वासनीयता संदिग्ध हो चुकी है और...वाम तो हाशिए पर ही है .... 

आप बौद्धिक लोगों के साथ यह प्रयोग करके देखना चाहता हूं....अापका क्या ख्याल है ?हम आप भी इस जाल से बच नहीं सकते क्योंकि बयानो और हरकतों से आपको इस हद तक विचलित कर दिया जाता है कि आप प्रतिक्रिया से दूर नहीं भाग सकते....इस तरह हम चाहे अनचाहे इस प्रचार का हिस्सा होते चले जा रहे हैं.....मुझे ऐसा लगता है कि यदि हम इस अभियान को नजरअंदाज करना शुरु कर दें तो निश्चित रूप से मोदी के प्रचार खेमे में बेचैनी फैलेगी क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य गंभीर बहस की बजाय सनसनी फैलाना ही है....अतः अबसे आगे मोदी की चर्चा पर कुछ विराम लगाकर देखा जाए....विपक्षी दलों में कॉंग्रेस से ऐसी उम्मीद बेमानी है ...क्योंकि कॉंग्रेस तो हाल के दौर में बौद्धिक दिवालिएपन के संक्रमण से गुजर रही है....नितीश कुमार की कलई उतर चुकी है....लालू खुद प्रश्नों के घेरे में हैं....आप की विश्वासनीयता संदिग्ध हो चुकी है और...वाम तो हाशिए पर ही है .... आप बौद्धिक लोगों के साथ यह प्रयोग करके देखना चाहता हूं....अापका क्या ख्याल है ?

1 comment:

  1. मुझे लगता है सिर्फ चर्चा बन्द कर देने से तो वे अपने इरादों में सफल हो जाएंगे। आम जनता तक जो थोड़ी बहुत सच्चाई पहुंच पा रही है उसके शून्य को उनका झूठ घेर लेगा और लोगों के बीच एकमात्र सच की तरह पहुंचने लगेगा। इस वक्त जरूरत सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित न रहकर व्यापक सार्थक व्यवहारिक पहल की है। सभी को अब गम्भीर बहसों के साथ व्यवहारिक सम्भव प्रतिरोध के रास्ते सुझाने चाहिए। विपक्ष जैसा भी जितना भी है उसे अपने इलाकों शहरों में भोंपू मीडिया चेनेल के खिलाफ धरना प्रदर्शन करना चाहिए उन्हें उनकी लोकतांत्रिकजिम्मेदारी का एहसास कराना चाहिए और विपक्ष केसमाचार सामने लाने के लिए उन्हें मजबूर करना चाहिए ताकि जनता उनकी बात उनके काम जान सके। सन 2017 में आप 1990 के toolsसे अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकते। आज मीडिया प्रचार प्रसार बहुत मायने रखता है। विपक्ष को अपना मीडिया चैनेल भी बनाना चाहिए। एक सर्वधर्म सेना भी हर शहर में बननी चाहिए जो जरूरत पड़ने पर शांति पूर्वक धरना प्रदर्शन, कानूनी, आर्थिक,सामाजिक मदद के साथ उनके गुंडों के विरुद्ध अकेले सही धर्म निरपेक्ष को साथ दे सके। मेरा मानना है विपक्षी पार्टियां अधिकांश शहरों में इतना तो आजभी कर ही सकती हैं। इस तरह के और भी व्यवहारिक जरूरी सुझाव,सुधार सभी दे सकते हैं।

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