Monday, December 25, 2017

रायपुर स्मृतियों के झरोखे से- 5- - प्रभाकर चौबे --धूप के टुकड़े : 1966 में प्रकाशित होने वाली सायक्लोस्टाइल्ड मासिक पत्रिका

1966 में साहित्यकार प्रभाकर चौबे, पत्रकार गुरुदेव कश्यप तथा छत्तीसगढ़ कॉलेज के प्रोफेसर रामनारायण नायक ने सायक्लोस्टाइल्ड मासिक पत्रिका निकाली । वह लघु पत्रिकाओं का दौर था । धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान आदि व्यावसायकि पत्रिकाओं से मुकाबला कर रही थीं लघु पत्रिकाएं - उसी दौर में तीनों ने रायपुर से 'धूप के टुकड़े' नाम से सायक्लोस्टाइन्ड पत्रिका निकाली, उसी के आसपास राजिम से साहित्यकारों ने बिम्ब नाम से सायक्लोस्टाइल्ड पत्रिका निकाली थी । 'धूप के टुकड़े' को देशभर के हिन्दी रचनाकारों का उत्साहजनक स्वागत मिला कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने भी अपनी कविता भेजी थी ।
     ' धूप के टुकड़े' की एक भी प्रति न तो प्रभाकर चौबे के पास थी न गुरुदेव कश्यप के पास थे न रामनारायण नायक के पास।  एक दिन भोपाल से निकलने वाली पत्रिका प्रेरणाके सम्पादक अरुण तिवारी से प्रभाकर चौबे की बातचीत हो रही थी और इसी बातचीत में तिवारी जी ने 'धूप के टुकड़े' का जिक्र किया - 'आप ने निकाली थी पत्रिका ....'
     प्रभाकर चौबे ने कहा - हाँ, लेकिन उसकी एक भी प्रति मेरे पास नहीं है ।
     'मेरे पास है' - प्रभाकर चौबे ने उत्साहित होकर कहा फोटोकापी भेज दो ।

     यह उल्लेखनीय है कि धूप के टुकड़े में अरूण तिवारी जी की कविता छपती रही । इस पत्रिका में सोमदत्त की भी कविता छपी अरूण तिवारी जी ने धूप के टुकड़े के दिसम्बर 1966 के अंक की फोटो कापी डाक से भेजी ... यह भी उल्लेखनीय है कि धूप के टुकड़े का चित्रांकन श्री कमलेश्वर शर्मा किया करते । प्रभाकर चौबे ने धूप के टुकड़े की प्रति उपलब्ध होने के जानकारी रामनारायण नायक (आजकल जबलपुर में) को मोबाईल से दी - रामनारायण नायक वाह ... कह उठे । उनकी प्रसन्नता की बात यह कि कई मिनट तक वाह वाह, वाह करते रहे ।

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