Wednesday, December 3, 2014

खेल कभी खत्म नहीं होता......... '63 नाबाद- हमेशा'- फ़िल ह्यूज़ को याद करते हुए....


शेफ़ील्ड शील्ड के एक मैच के दौरान दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल रहे ह्यूज़ के हेलमेट पर न्यू साउथ वेल्स के गेंदबाज शॉन एबॉट की गेंद ज़ोर से जा लगी. ह्यूज़ ने साल 2009 से 2013 के बीच 26 टेस्ट मैच खेले थे. ह्यूज़ ने साथी खिलाड़ी एस्टन एगर के साथ मिलकर 2013 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दसवें विकेट के लिए रिकॉर्ड 163 रनों की साझेदारी की थी.
     क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने एक अपडेट जारी करके फिलिप ह्यूज़ के अंतिम स्कोर को 63 नाबाद से '63 नाबाद- हमेशा' कर दिया है.क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख जेम्स सुदरलैंड ने कहा, "यह मामूली बात लग सकती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण सम्मान है. फ़िलिप सदा के लिए 63 पर नाबाद रहेंगे."
          यह काफी दुखद घटना थी जिसमें एक खिलाड़ी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मगर हाल में चल रही इन चर्चाओं का कोई अर्थ नहीं कि क्रिकेट में बाउंसर पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए । निश्चित रूप यह एक दर्दनाक हादसा था मगर ऐसे हादसों से खेल रुका नहीं करते । बहुत पहले , लगभग 50 वर्ष पहले, हमारे देश के मशहूर खिलाड़ी नारी कॉन्ट्रेक्टर का को भी इसी तरह बाउंसर से चोट लगी थी हालांकि वे बच गए थे मगर उसके बाद उनका क्रिकेट जीवन समाप्त हो गया था ।लेकिन उन्होंने भी कभी बाउंसर प्रतिबंधित करने की बात नहीं की ।
  हादसे जीवन मे होते रहते हैं । कुछ हादसों में जीवन दांव पर होता है कुछ में व्यक्ति की जान चली जाती है मगर दुनिया चलती रहती है । मेरा ख्याल है कि यदि ह्यूज़ बच जाते और खेलने लायक नहीं रहते तो वे खुद भी कभी बाउंसर प्रतिबंधित करने का पक्ष नहीं लेते । उनके माता पिता तक गेंदबाज शॉन एबॉट को किसी तरह दोषी नहीं मानते । उनके जस्बे और दिलेरी की तारीफ करनी होगी । पूरा खेल जगत स्तब्ध है और एक खामोशी सी छाई है मगर खेल जारी रहता आया है । हम सब ह्यूज़ को कङी भूल नहीं पायेंगे । हमारी श्रद्धांजली ........ 

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