Wednesday, July 25, 2018

प्रभाकर चौबे के व्यक्तिव व कृतित्व पर केंद्रित प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर का आयोजन

प्रभाकर चौबे ने निरपेक्ष भाव से लेखन किया....

  प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर द्वारा हाल ही में दिवंगत वरिष्ठ साहित्यकार व्यंग्यकार व पत्रकार श्री  प्रभाकर चौबे के व्यक्तित्व व कृतित्व पर केंद्रित प्रभाकर चौबे:व्यक्तित्व एवं कृतित्व का आयोजन किया गया । आयोजन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से साथी रचनाकारों ने उन्हें बड़ी शिद्दत से उनके कृतित्व पर विमर्श किया ।उल्लेखनीय है कि श्री प्रभाकर चौबे पत्रकारिता व साहित्य के साथ ही समाजसेवा व ट्रे़ड यूनियन में भी लगातार सक्रिय रहे । श्री प्रभाकर चौबे प्रगतिशील लेखक संघ व भारतीय जन नाट्य संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंडल में एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक थे । वे दशकों ट्रेड यूनियन में प्रमुख पदों पर लगातार सक्रिय रहे। पत्रकारिता के साथ साथ उन्होने साहित्य में भी काफी लिखा है । 
     सबसे पहले भिलाई से आए वरिष्ठ कथाकार लोकबाबू ने लिखित आलेख का पाठ किया । इस आलेख में उन्होंने प्रभाकर चौबे के सांगठनिक व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला ।इसके पश्चात रायपुर प्रगतिशील लेखक संघ के वरिष्ठ साथी व कवि डॉ आलोक वर्मा ने अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व व कृतित्व में कोई अंतर नही था । वे जैसे थे वैसे ही लिखते भी थे । उन्होंने कहा कि प्रभाकर चौबे ने लगातार लोक शिक्षण का काम किया । रायपुर इप्टा के वरिष्ठ निर्देशक मिन्हाज असद ने कहा कि उनकी तीन बातें महत्वपूर्ण थी पढ़ना , लिखना और सामाजिक जुड़ाव । वरिष्ठ व्यंग्यकार रवि श्रीवास्तव ने उनके व्यंग्य रचनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि प्रभाकर चौबे के व्यंग्य में प्रतिबद्धता होती थी । उनके व्यंग्य हास्य न होकर घर अर्थ लिए गंभीर व्यंग्य हुआ करते थे ।
      दुर्ग से आये वरिष्ठ आलोचक जय प्रकाश ने प्रभाकर चौबे की कविताओं पर अपनी बात कही । उन्होंने कहा कि प्रभाकर चौबे ने बहुत सशक्त गद्य के साथ ही गंभीर व प्रभावशील कविताओं का सृजन किया । जाय प्रकाश जी ने कहा कि प्रभाकर चौबे ने बिना किसी लालसा या महत्वाकांक्षा के निरपेक्ष भावना से सृजन किया । जय प्रकाश ने कहा कि प्रभाकर चौबे सिर्फ व्यंग्यकार ही नही थे बल्कि एक गंभीर वैचारिक लेखन भी करते रहे ।वे अपनी कविताओं में लोक जीवन के भीतर जाते हैं और उन अनुभवों को बहुत संवेदनाओं के साथ व्यक्त करते हैं । उनके काव्य जगत में बिखराव नही है ।
    प्रगतिशील लेखक संघ छत्तीसगढ़ के महासचिव नथमल शर्मा ने प्रभाकर चौबे के सांगठनिक व्यक्तित्व पर अपनी बात कही । मुख्य अतिथि महेंद्र मिश्र ने अपनी बात में बताया कि प्रभाकर चौबे उनके दो करीबी मित्रों में एक थे । साथी का जाना शब्दों में व्यक्त नही किया जा सकता  । ये एक अहसास है जिसे महसूस किया जा सकता है । कार्यक्रम के अध्यक्ष ललित सुरजन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रभाकर चौबे लोक शिक्षण का कार्य सिर्फ अखबारों में लिखकर ही नही बल्कि जनता के बीच जाकर सीधे संवाद के ज़रिए भी करने पर ज़ोर दिया करते थे । उन्होंने अपने साथ प्रभाकर चौबे के साथ अपने लगभग 6 दशकों के संबंधों को याद करते हुए अनेक प्रसंगों का ज़िक्र किया । उन्होंने कहा कि प्रभाकर चौबे बहुत कठिन संघर्षों से गुजरे थे मगर फिर भी वे समाज के प्रति हमेशा सद्भभावना रखते थे । उनके मन मे समाज के प्रति अपनी जवाबदारी समझते थे ।अरुनकान्त शुक्ला ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हीं के प्रोत्साहन से मेरा कविता संग्रह निकल सका ।
   कार्यक्रम का संचालन प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर के अध्यक्ष संजय शाम ने किया । अंत मे बिगत दिनों दिवंगत हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार तेजिंदर को श्रद्धाञ्जली अर्पित करते हुए प्रगतिशील लेखक संघ रायपुर के  सचिव जीवेश प्रभाकर ने आभार व्यक्त किया और बताया कि शीघ्र ही तेजिंदर पर एक आयोजन किया जाएगा । इस गरिमापूर्ण आयोजन में नगर के बुद्धिजीवी रंगकर्मी व सुधिजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।

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